"वृन्दावन कलानाथौ हृदयानन्द वर्द्धनौ।
सुखदौ राधिका कृष्णौ भजेsहं कुञ्ज गामिनौ।।"
( ठाकुरजी श्रीसरसबिहारी लाल जी सरकार )
नैनन कौ लाठौ लीजिये।
गोरी श्याम सलौनी जोरी सरस माधुरी पीजिये ।।
छिन-छिन प्रति प्रमुदित चित चावही निज भावहि में भीजिये।
श्रीहरिप्रिया निरखि तन मन धन लै न्यौछावरि कीजिये ।।
(महावाणीजी सेवा सुख पद 42)